6. हमारे समाज मे जाति नख का क्या महत्व है तथा बाकी वैष्णव सम्प्रदायों से किस प्रकार भिन्न है?
धनावंश के ज्यादातर जातिय नख जाट जाति से मेल खाते हैं क्योंकि आज से 500 वर्ष पूर्व जब धनाजी महाराज ने अपनी ही जाति के लोगो को अपना अनुयायी बनाया तथा उनको धनावंशी बनाया। हमारे पूर्वजों ने धनावंश तो अपना लिया लेकिन अपनी जातीय गौत्र नही छोड़ी। लेकिन रामानंदी सम्प्रदाय की बात करे तो उनके गौत्र किसी गुरु या गुरुद्वारे के नाम पर है। ऐसा इसलिए कि रामानंद जी ने बिना जातीय भेदभाव के सभी को अपना अनुयायी बनाया । स्वामी रामानंद ने भक्ति करने वालों के लिए नारा दिया "जात-पात पूछे ना कोई-हरि को भजै सो हरि का होई" ।
इस प्रकार रामानंदियों में सभी जातियों के लोग आये हुए हैं तथा उन्होंने जिस गुरुद्वारे से दीक्षा ली उसी गुरुद्वारे के नाम पर उनके गौत्र है।
लेकिन हमारे जातीय नख हमारी पहचान है तथा यह हमारे पूर्वजो का व हमारे DNA का बोध करवाता है।