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धन्नावंशी छात्रावास बीकानेर
(वै. धन्नावंशी स्वामी समाज सम्भागीय समिति, बीकानेर)

(रजि. न. 106 / बीकानेर / 2002-03)

पता :-बी 116,117 कांता खतूरिया कॉलोनी , बीकानेर 
सम्पर्क :-श्री भगवान दास जी स्वामी

mob 9414663266

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डॉ घनश्याम दास जी (अध्यक्ष)

(नोखा, बीकानेर ) 

 Mob. 9414603586

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श्री अर्जुन दास जी (सचिव)

 (हरियासर चूरू) 

 Mob. 9414603586

एक परिचय:-

समिति का गठन नगौर व जोधपुर में पहले से ही गठित व सुसंचालित समाज समितियों व मदनों तथा वहाँ सेवारत अनुभवी समाजसेवी सज्जनों की प्रेरणा से किया गया जो आज धनवंशी स्वागी समाज की पहचान के प्रमुख स्तंभों में से एक है।

सर्वप्रथम Dy.SP श्री लक्ष्मीनारायण स्वामी की प्रेरणा से 31 अगस्त 1997 को श्री बजरंग लाल स्वामी के निवास (पटेल नगर, बीकानेर) में स्थानीय समाज बंधुओं की प्रथम बैठक आयोजित की गयी जिसमें डूंगर महाविद्यालय के प्रधानाचार्य श्री पूरणमल स्वामी व श्री लक्ष्मी नारायण स्वामी के सानिध्य में प्रथम स्थानीय कार्यकारिणी गठित की गयी । जिसके प्रयासों से संभाग समिति के लिए भूखण्ड कांता खातुरिया कॉलोनी में 05 नवस्तर 1999 व 06 दिसम्बर 1999 को खरीदे गये। 09 जनवरी 2000 को सिंधी धर्मशाला में संभागीय सम्मेलन आयोजित करके समिति का गठन किया गया। जिसके प्रथम अध्यक्ष श्री पूरनमल स्वामी व मंत्री श्री भगवानदास स्वामी मनोनीत किये गये। इस समिति तथा स्थानीय समिति के प्रयासो से

1. 11 विसम्बर 2000 प्रातः 10:36 बजे भवन निर्माण के लिए भूमि पूजन कर पाया रखा गया।

2. 25 नवम्बर 2001 को प्रथम चरण में निर्मित 5 कमरों, स्नानागार, शौचालय कक्ष, रसोईघर गारबदेशर गद्दी के महन्त स्वामी श्री मोहनदास जी के करकमलों से समाज को समर्पित किये गए। इस भवन से पहले से ही लाइट पानी के कनेक्शन ले लिये गये थे। अतः 25 नवंबर के सांयकाल से ही यहां 6 विद्यार्थी निवास करने लग गए। प्रथम प्रवेश राजेन्द्रकुमार कालेरा पुत्र श्री प्रेमदास निवासी फेफाना , नोहर का हुवा ।

3. द्वितीय चरण में 4 कमरों का निर्माण हुआ जिन्हें 29 दिसम्बर 2002 को समाज को समर्पत किया गया ।

4. तृतीय चरण में सबसे अन्बा निर्माण कार्य लगभग 300 वर्गफुट जिसने भूमिगत हॉल 16' X 48', चार सामान्य कमरे, कार्यालय कक्ष, मेहमान कक्ष, रसोई घर, भोजन कक्ष, मेनगेट स्टोर, साईकिल शेड का निर्माण किया गया तथा बीच के आंगन में दूब लगाई गई। यह निर्माण 11 सितम्बर 2005 को समाज को समर्पित किया गया।

5. अभी और कमरों की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इस हेतु प्रथम मंजिल में सात कमरों के निर्माण हेतु समाज बबुओं द्वारा व्यक्तिगत घोषणाएं की गई है। इसके लिए शीघ्रातिशीघ्र निर्माण कार्य प्रारम्भ करना समिति की प्राथमिकता है।

इस प्रकार इस समय समाज के कुल 70'x80' भवन में 16 कमरे भूमिगत हॉल, स्टोर, लाईट-पानी टेलिफोन, पर्याप्त मेंज-कुर्सियां व उचित मार्गदर्शन की सेवाएं उपलब्ध हैं।

भवन संचालन

1. भवन संचालन का मुख्य उत्तरदायित्व स्थानीय समाजसेवी सज्ननों का है जिनमें श्री बजरंग लाल स्वामी, श्री डूंगरमल स्वामी, श्री हरिप्रसाद स्वामी, श्री लालचन्द स्वामी, श्री भगवानदास स्वामी, श्री सोहन दास स्वामी, श्री अभयनंद स्वामी, वैध श्री रामेश्वर प्रसाद, श्री ओमप्रकाश स्वामी (श्री डूगरगई), श्री नोपदास स्वामी (पूर्व सरपच धीरदेसर पुरोहितन), श्री जयदेव स्वामी, श्रीमती सुदर्शना,श्री जगदीश प्रसाद स्वामी, श्री जुगलाल स्वामी आदि मुख्य हैं।

2. वर्तमान में समिति द्वारा में भगवानदास स्वामी को व्यवस्थापक, श्री बजरंग लाल स्वागी की जुगलाल महला को सलहाकार मनोनीत किया गया है। इससे पूर्व
श्री लालचन्द स्वामी व श्री जुगलाल महला व्यवस्थापक के रूप में सेवाएं दे चुके है।

भवन संचालन की मुख्य विशेषता यह है कि पूरा समाज व समिति मनोनीत व्यवस्थापक के हर निर्णय व व्यवस्था को पूर्ण समर्थन देते हैं तथा हर अपातकालीन स्थिति में सभी उपस्थित रहने के लिए तैयार रहते है।

3. भवन का उपयोग बीकानेर में अध्ययनरत छात्रों के लिए निवास के रूप में किया जाता है। कॉलेज के नियमित छात्रों को प्राथमिकता दी जाती है। इसके बाद स्कूल के नियमित छात्रों, विभिन्न कोचिंग प्राप्त कर रहे छात्रों को प्राथमिकता दो जाती है

प्रति छात्र 125 रूपये मासिक शुल्क (लाईट पानी-टेलिफोन, सफाई आदि के लिए) प्राप्त किए जाते हैं। 700 रूपये प्रति छात्र मेस में प्राप्त लिए जाते हैं। जिनसे भोजन का प्रबंध, रसोईये आदि का भुगतान किया जाता है। रसोइये की नियुक्ति भवन व्यवस्थापक द्वारा की जाती है तथा मेस संचालन व्यवस्थापक द्वारा मनोगत सुयोग्य छात्रों को समिति द्वारा किया जाता है। प्रति मास प्रति छात्र लगभग 850 रूपये व्याय पड़ता है। मेज कुर्सी आदि प्रत्येक छात्र को समाज समिति द्वारा उपलब्ध कराई जाती है

4. भवन में एक कमरा समाज के मेहमानों के लिए आरक्षित रखा जाता है। जिसमें विभिन्न उद्देश्यों से संभाग मुख्यालय बीकानेर पधारे हुए समाज सीमित अवधि के लिए रह सकते हैं तथा अपना भगतान करके मेस से खाना प्राप्त कर सकते हैं। सभी निवासी छात्र नेहमानों के साथ आत्मीयता पूर्वक व्यवहार करते है।

5. भवन की सुविधाओं का अब तक लगभग 200 छात्र उपयोग कर चुके है। विगत दो वर्षों से छात्र संख्या 35 तक रहती है। सभी छात्र एक परिवार की तरह रहते हैं तथा सहयोग करते हैं। व्यवस्थापक व सलाहकारों द्वारा समय-समय पर दिशा निर्देश दिए जाते हैं जिनका सभी छात्र सम्मान पालन करते हैं। समय-समय पर विभिन्न प्रतियोगिताएं, उत्सव जैसे समाज स्नेह मिलन, गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, नववर्ष उत्सव आदि निवासी छात्रों से सहयोग से आयोजित किए जाते हैं।

6. अभी तक लग्भग 50 छात्र सुविधाओं का उपयोग करके अपनी अच्छी जीविकोपार्जन की उपलबियाँ प्राप्त कर चुके है। 5 छात्र सफल वकील, 10 आरपीएससी शिक्षक चयनित, 4 सेना में भर्ती व अन्य पुलिस आदि सेवाओं में भर्ती पा चुके है। इस भवन से छात्र अब इंजीनियरिंग कॉलेजो में भी चयनित हो चुके है। प्रथम छात्र श्री राजेन्द्र प्रसाद कालेर व उनका भाई विनोद यही से आर पी एस सी शिक्षक में अच्छी रेंक पर चयनित हुवे है।

लेखन: भगवान दास स्वामी
(अध्यक्ष व भवन व्यवस्थापक)
मो नम्बर - 9414663266

वै. धन्नावंशी स्वामी समाज सम्भागीय समिति, बीकानेर  -by मांगीलाल जी स्वामी:-

जब जब भी विवाह आदि समारोह में समाज के लोग मिलते तो चर्चा चलती है कि सभी समाजों में भवन बने हुए है परन्तु धनावंशी समाज का भवन बीकानेर शहर में नहीं है। सभी को यह बात खलने लगी। इसके अलावा बीकानेर शहर में मेडिकल कॉलेज, इंजिनियरिंग, पोलीटेक्नीकल कृषि कॉलेज है जिसमें समाज के दराज से विद्यार्थी एवं समाज के लोगों का आवागमन रहता दूर है और उनके रहने के लिए बड़ी कठिनाई होती है क्योंकि आर्थिक दृष्टि से सभी लोग सम्पन्न नहीं है। इस दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए व समाज में जागृति लाने हेतु एक मीटिंग हुई तथा जिला स्तरीय चर्चा समिति का गठन हुआ जिसके फलस्वरुप शीघ्र ही भवन के लिए जमीन क्रय की गई। फिर सम्भागीय स्तर पर समिति गठन के लिए एकत्रित हुए जिसमें श्री लक्ष्मीनारायणजी, प्रो. के. डी. शर्मा जोधपुर तथा बाकलिया गांव श्री देवारामजी प्रेरणा स्रोत रहे। समाज की पहचान प्रगति, शैक्षिक उन्नयन व आध्यात्मिक उन्नयन हेतु वै. धनावंशी स्वामी समाज समिति का गठन हो गया। उस समिति में 30 संरक्षक सदस्य तथा 100 आजीवन सदस्य बने उनकी संख्या उतरोत्तर वृद्धि हो रही है। समय समय पर आमसभा में दानदाताओं एवं अच्छे अंक लाने वाले छात्रों को सम्मानित किया जाता रहा है और भवन का उपयोग अधिकत्तर विद्यार्थियों तथा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हेतु आये छात्रों के लिए किया जाता रहा है। समिति का संविधान है। ऑडिट रिपॉर्ट प्रतिवर्ष संघारित की जाती है। बिजली, पानी, अखबार आदि सुविधाएं उपलब्ध है। स्नेह मिलन का कार्यक्रम प्रथम 3-4 वर्ष तक चला।धनावंशी स्वामी समाज हित के लिए सर्वप्रथम सन् 1999 में श्री सुदर्शनजी के घर बीकानेर, सींथल, सुजानगढ़, धीरदेसर, श्री डूंगरगढ़ के गणमान्य लोग अपने समाज का भवन एवं जिला समिति गठनार्थ एक मीटिंग हुई। तत्पश्चात श्री जुगलाल मेहला के घर पर भी मीटिंग हुई तथा एक जिला स्तरीय तदर्थ समिति का गठन हुआ। रामेश्वर प्रसाद सींथल अध्यक्ष बने तथा भवन हेतु जमीन खतुरिया कॉलोनी में ली गई। 9.12.2000 को एक सिंधी धर्मशाला में एक मीटिंग श्री देवाराम बाकलिया की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। जिसमें जोधपुर, बीकानेर, श्रीगंगानगर, चूरू जिले के करीबन 100 व्यक्ति उपस्थित हुए तथा सम्भागीय स्तर पर समिति का गठन किया गया। 2 पट्टो की जमीन की रजि. भी हो गई। समिति में क्रमश: डूंगरमलजी, पूर्णमलजी, भगवानदासजी, गोपालदासजी अध्यक्ष रहे तथा वर्तमान में गोरधनदासजी है।भवन निर्माण हेतु वैद्य श्री रामेश्वरप्रसाद सींथल, भगवानदासजी बीकानेर, हरिदासजी जैगणिया, बजरंगदासजी बीकानेर एवं ओमप्रकाशजी व नोपदासजी ने सभी जिलों के गांव गांव व ढाणी-ढाणी जाकर चन्दा इकट्ठा किया जिसके फलस्वरुप भवन के 12 कमरों का निर्माण हुआ। बाद में उपरी मंजिल का निर्माण किया गया। इनका सतत प्रयासों से कार्य पूर्ण हुआ। वर्तमान में 20 कमरें, ऑफिस, रसोई, वाशरूम है। 2 गेस्ट रूम है। अधिकतर कमरे एक-एक परिवार द्वारा निर्मित किये गये। जिनके शिलालेख लगाये हुए है। भवन बनाने का मुख्य उद्देश्य समाज के बाहर से आने वालों की ठहरने की व्यवस्था तथा परीक्षा तैयारी एवं अध्ययन हेतु विद्यार्थियों के रहने की व्यवस्था रही है। कार्यकारिणी सदस्यों द्वारा जनगणना का कार्य भी तहसीलवार की गई परन्तु पत्रिका छपवाने का कार्य अधूरा रह गया। एक बड़ा हॉल भी है। पूर्व दिशा की ऊपरी मंजिल का निर्माण बकाया है। भवन में मंदिर बनाने का कार्य भी नहीं हुआ। एक कमरे में ही दिपावली आरती, हनुमान चालीसा बोला जाता है। सर्वप्रथम तो सांस्कृतिक खेलकूद प्रतियोगिता, स्नेह मिलन आदि कार्यक्रम होते रहे परन्तु बाद में बंद हो गये। कुछ वर्षों तक बिना किसी वार्डन के चलता रहा परन्तु अभी वार्डन नियुक्त है। अधिकतर इस भवन का उपयोग दूर-दराज से आने वाले विद्यार्थियों के लिए है। अंकवार एवं पत्रिका की सुविधा उपलब्ध है। समय समय पर विद्वान लोगों द्वारा भाषण, योग सम्बंधी शिविर भी लगाये जाते है। वर्तमान में कोविड-19 के कारण बंद है। फिर भी अग्रिम सूचना एवं निर्देशों के तहत रह सकते है।इस स्वामी समाज भवन में ठहरने वालों से रख -रखाव के अलावा कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। अनुशासन एवं स्वामी आचार संहिता का पालन करना आवश्यक है। 40 छात्रों के लिए व्यवस्था है। प्रतिवर्ष 2002 से लेकर 2019 व मार्च 2020 तक 34 से 40 छात्र रहते रहे है। कमरों के अभाव में बहुत से विद्यार्थियों को इस व्यवस्था से वंचित रहना पड़ता है। 2 कमरे अतिथियों के लिए 2 दिन तक उपलब्ध है। भोजन व्यवस्था निरंतर चलती रहती है। पानी, बिजली, फर्नीचर की पूर्ण व्यवस्था है। जुगलालजी व भगवानदासजी की देखरेख है। यह सूचना अनरिकॉर्डिड प्रस्तुत की जा रही है। अधिकतर नीट, आरएएस, नर्सिंग परीक्षा के लिए तथा अतिथि लोग भी आते रहते है। 

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